निदेशक का संदेश


श्री आर के सिद्धार्थ, भा.दू.से.

“जब सभी स्थलीय संचार व्यवस्था भंग हो जाती है, तो समन्वय निदेशालय पुलिस बेतार सम्पूर्ण भारत में सार्वजनिक सुरक्षा और आपदा राहत (पीपीडीआर) संस्थानों को सुदृढ़ बेतार संचार वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराएगा । ” पुलिस बेतार निरीक्षणालय, जो अपने स्थापना के समय, इस नाम से जाना जाता था, 19 फरवरी 1946 को गृह विभाग तथा डीजी पोस्ट एवं एयर के दोहरे नियंत्रणाधीन कार्य प्रारम्भ किया । 1950 में, उपरोक्त को, समन्वय निदेशालय पुलिस बेतार बना कर गृह मंत्रालय के नियंत्रणाधीन लाया गया । पोस्ट एवं एयर विभाग द्वारा वर्ष 1942 में, देश में रेडियो संचार के लिए, केंद्रीय समन्वय तथा नियंत्रण की महत्ता पर बल दिया गया । तदोपरांत, इस तरह के संगठन की स्थापना पर सीआईडी कॉन्फ्रेंस (1942), अंतर विभागीय बोर्ड (1944) के साथ ही साथ आईजीपी कॉन्फ्रेंस (1946) में भी विशेष जोर दिया गया । आसूचना ब्यूरो के विशेष सहयोग के परिणाम स्वरूप, पुलिस बेतार निरीक्षणालय आजादी से ठीक पहले अस्तित्व में आया । रॉयल सिग्नल के लेफ्टिनेंट कर्नल टी.ई. डॉब्सन, इसके पहले प्रमुख बने । निरीक्षणालय की प्रारंभिक जिम्मेदारी प्रांतों को निम्नलिखित बिंदुओं पर परामर्श देना था :

1. पुलिस बेतार के तकनीकी मामलें,

2. उपकरणों का प्रापण करना,

3. बेतार प्रणाली के सामान्य लेआउट के विषय में परामर्श देना,

4. ऑपरेटरों को प्रशिक्षित करना,

5. अन्य तकनीकी विभागों से संपर्क स्थापित करना,

6. प्रांतों की उनकी वायरलेस लेआउट के मुआयने के लिए दौरा करना,

उन दिनों उपयोग किए जाने वाले उपकरण वायरलेस टेलीग्राफी या मोर्स कोड़ थे । बाद में, एचएफ लिंक के माध्यम से एक अंतर प्रांतीय ग्रिड स्थापित किया गया । 1970 के दशक से ही, टेलीप्रिंटर इलेक्ट्रोमैकेनिकल युक्तियों से लेकर स्वचालित संदेश स्विचिंग सिस्टम, पैकेट रेडियो तथा पीएसटीएन मॉडम के प्रोयाग वाले ईपीएबीएक्स से लेकर माइक्रोवेव लिंक, डिजिटल रेडियो, ऑप्टिकल लिंक, सैटेलाइट लिंक का उपयोग करते हुए, हमने एक लंबा सफर तय किया है ।

यह निदेशालय पीपीडीआर एजेंसियों के लिए वीसैट आधारित पोलनेट 1, का संचालन करता है जिसे कि अब पोलनेट 2 द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है और इसे दिसम्बर 2019 तक चालू कर दिया जाएगा । हमारे जवानों के कल्याण के लिए डिजिटल सैटेलाइट फोन टर्मिनल्स (डीएसपीटी) को शरू करने की योजना प्रगति पर है I शरू में, 13 मई 2019 से डीएसपीटी प्रणाली ने अकस्मात कार्य करना बंद कर दिया था जिसके कारण सुदूर क्षेत्रों में कार्यरत हमारे जवानों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था क्योंकि डीएसपीटी प्रणाली के अलावा उनके पास दूसरा कोई वैकल्पिक साधन नहीं था जिससे वह अपने परिजनो से संपर्क कर सकें । दूरदराज़ के इलाकों में कार्यरत जवानो की सुविधा हेतु, डीएसपीटी प्रणाली की कमी की प्रतिपूर्ति हेतु, सैटेइलाइट फोन उपलब्ध कराने में हम सफल रहें हैं जिसका कॉल दर मात्र ₹ 1/- प्रति मिनट है, जो कि दुनिया में सबसे सस्ता सैटेलाइट कॉल है । ब्रॉडबैंड पीपीडीआर (सार्वजनिक सुरक्षा और आपदा राहत) का भविष्य भारत में शीघ्र ही हकीकत बनेगा क्योंकि निदेशालय ब्रॉडबैंड पीपीडीआर के लिए बैंड को सामंजस्यपूर्ण बनाने में हितधारकों के साथ प्रयासरत है । निदेशालय वर्तमान सेटअप में कम डेटा दर और बैंडविड्थ की कमियों से अवगत है ।

“संचार के राष्ट्रीय मानकीकरण” के द्वारा भारत जैसे विविध भौगोलिक उपमहादेश के लिए एक आदर्श संचार व्यवस्था की तरफ एक सार्थक प्रयास किया जा चुका है । पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए यह कार्य पूर्ण भी किया जा चुका है । पुलिस संगठनों द्वारा उपयोग किए जाने वाले संचार उपकरणों और साइफर प्रणाली के संचालन और रखरखाव में न केवल भारत बल्कि अन्य देशों के पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए केंद्रीय पुलिस रेडियो प्रशिक्षण संस्थान (सीपीआरटीआई) की स्थापना वर्ष 1971 में की गई थी । चंडीगढ़ में एक नया क्षेत्रीय पुलिस बेतार प्रशिक्षण संस्थान (आरपीडब्ल्यूटीआई) वर्ष 2019 में खोला गया है और हम कोलकाता और बेंगलुरु में वर्ष 2019 के अंत तक दो क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र खोल रहे हैं । इसके लिए आवश्यक अवसंरचना तैयार की जा रही है । समन्वय निदेशालय पुलिस बेतार ने वर्ष 2018 में विज्ञान भवन में, एक अखिल भारतीय संचार सम्मेलन का सफलता पूर्वक आयोजन किया जिस में राज्यों तथा सीएपीएफ से रिकार्ड संख्या में लोग प्रतिभागी हुए एवं काफी सुझाव प्राप्त हुए, जिस पर क्रियान्वयन किया जा रहा है । इसलिए, विभिन्न संगठनों के बीच तालमेल और समन्वय के साथ ही साथ प्रभावी संचार स्थापित करने लिए हमने वार्षिक सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई है । संघ शासित प्रदेश लद्दाख में एक अंतर राज्य पुलिस बेतार स्टेशन स्थापित करने का कार्य प्रगति पर है । समन्वय निदेशालय पुलिस बेतार को रेडियो संचार विच्छेदन को मॉनिटर करने तथा सरकारी एजेंसियों से गवर्नमेंट-ई-मार्केटिंग (जेम) के माध्यम से संचार उपकरणों की खरीद को सुगम बनाने एवं उनके प्रमाणन तथा परीक्षण के लिए, नोडल एजेंसी का भी कार्य अभिहित किया गया है । हम मानकीकरण की पहचान करके वायरलेस तकनीक को अनुकूलित करते हुए पुलिस संगठनों में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया को तेज करने में लगे हुए हैं।

धन्यवाद !

(श्री आर के सिद्धार्थ, भा.दू.से.)

निदेशक डीसीपीडब्ल्यू

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